Revision Guide
कैफ़ी आज़मी की कविता 'कर चले हम फ़िदा' देशभक्ति और बलिदान की भावना को दर्शाती है।
कैफ़ी आज़मी – कर चले हम फ़िदा - Quick Look Revision Guide
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Key Points
कैफ़ी आज़मी का जन्म 19 जनवरी 1919 को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में हुआ।
कैफ़ी आज़मी का जन्म 19 जनवरी 1919 को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के मजूमन गाँव में हुआ। वे प्रगतिशील दौर के प्रमुख कवियों में से एक थे।
कैफ़ी आज़मी की कविताओं में सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता का समावेश है।
उनकी कविताओं में एक ओर सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता है तो दूसरी ओर मन की कोमलता भी।
कैफ़ी आज़मी ने फिल्मों के लिए सैकड़ों गीत भी लिखे।
युवावस्था में मुशायरों में घूमने वाले कैफ़ी आज़मी ने फिल्मों के लिए सैकड़ों उत्कृष्ट गीत भी लिखे।
कैफ़ी आज़मी को साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
उनके रचनाकर्म के लिए कैफ़ी आज़मी को साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया।
कर चले हम फ़िदा गीत फिल्म 'हकीकत' के लिए लिखा गया था।
यह गीत युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म 'हकीकत' के लिए लिखा गया था, जो सैनिकों के हृदय की वाणी को व्यक्त करता है।
गीत में सैनिकों का देशभक्ति भावना और बलिदान की भावना प्रकट होती है।
इस गीत में सैनिकों की देशभक्ति और बलिदान की भावना स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है, जो अपने प्राणों की आहुति देने को तैयार हैं।
गीत में हिमालय को दृढ़ता का प्रतीक बताया गया है।
'हिमालय का हमने न झुकने दिया' पंक्ति में हिमालय को दृढ़ता और अडिग रहने का प्रतीक बताया गया है।
धरती को दुर्गम कहने का कारण युद्ध की कठिनाइयाँ हैं।
गीत में धरती को दुर्गम इसलिए कहा गया है क्योंकि युद्ध की परिस्थितियाँ बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण होती हैं।
गीत में 'साथियों' शब्द का प्रयोग देशवासियों के लिए किया गया है।
'साथियों' शब्द का प्रयोग देशवासियों के लिए किया गया है, जिनसे सैनिकों की कुछ अपेक्षाएँ हैं।
गीत में सैनिकों की अपेक्षाएँ देशवासियों से हैं।
सैनिकों की अपेक्षाएँ हैं कि देशवासी देश की रक्षा और सम्मान के प्रति सजग रहें और उनके बलिदान को याद रखें।
गीत में 'हाथ उठने लगे' पंक्ति में विद्रोह की भावना है।
'हाथ उठने लगे' पंक्ति में विद्रोह और संघर्ष की भावना व्यक्त की गई है, जो देश की रक्षा के लिए आवश्यक है।
गीत में 'सीता का दामन' पंक्ति में पवित्रता का प्रतीक है।
'सीता का दामन' पंक्ति में पवित्रता और सम्मान का प्रतीक है, जिसकी रक्षा करना हर देशवासी का कर्तव्य है।
गीत में 'राम' और 'लक्ष्मण' का प्रयोग देशवासियों के लिए किया गया है।
'राम' और 'लक्ष्मण' का प्रयोग देशवासियों के लिए किया गया है, जिन्हें देश की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।
गीत में 'खींच दो अपने खून से' पंक्ति में बलिदान की भावना है।
'खींच दो अपने खून से' पंक्ति में सैनिकों के बलिदान और देशभक्ति की भावना को दर्शाया गया है।
गीत में 'ज़मीन पर रेखा' पंक्ति में सीमा की रक्षा का संदेश है।
'ज़मीन पर रेखा' पंक्ति में देश की सीमा की रक्षा करने और उसे अक्षुण्ण रखने का संदेश दिया गया है।
गीत में 'हर घर से राम निकले' पंक्ति में सभी के योगदान की अपेक्षा है।
'हर घर से राम निकले' पंक्ति में यह अपेक्षा व्यक्त की गई है कि हर देशवासी देश की रक्षा में अपना योगदान दे।
गीत में 'लाखों साथियों' पंक्ति में एकजुटता का संदेश है।
'लाखों साथियों' पंक्ति में देशवासियों के एकजुट होकर देश की रक्षा करने का संदेश दिया गया है।
गीत में 'जान देने की रात' पंक्ति में बलिदान की तत्परता है।
'जान देने की रात' पंक्ति में सैनिकों की बलिदान देने की तत्परता और देशभक्ति को दर्शाया गया है।
गीत में 'हो गई है मौत से गले' पंक्ति में निडरता का भाव है।
'हो गई है मौत से गले' पंक्ति में सैनिकों की निडरता और मौत से भी न डरने की भावना को दर्शाया गया है।
गीत में 'बाँध लो अपने सर से कफ़न' पंक्ति में तैयारी का संदेश है।
'बाँध लो अपने सर से कफ़न' पंक्ति में सैनिकों की युद्ध के लिए पूर्ण तैयारी और बलिदान के लिए तत्परता को दर्शाया गया है।
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