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Class 10
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Kshitij - II
सूरदास

Revision Guide

सूरदास

Revision Guide

सूरदास

सूरदास अध्याय में भक्ति कवि सूरदास के जीवन और उनकी कृष्ण भक्ति पर आधारित कविताओं का अध्ययन किया जाता है।

सूरदास - Quick Look Revision Guide

Your 1-page summary of the most exam-relevant takeaways from Kshitij - II.

This compact guide covers 20 must-know concepts from the सूरदास chapter aligned with Class X preparation for Hindi. Ideal for last-minute revision or daily review.

Revision Guide

Revision guide

Complete study summary

Essential formulas, key terms, and important concepts for quick reference and revision.

Key Points

1

सूरदास का जन्म 1478 में हुआ।

सूरदास का जन्म 1478 में मथुरा के पास रेणुका या दिल्ली के पास सीही में हुआ माना जाता है। वे महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य थे।

2

सूरदास की प्रमुख रचनाएँ।

सूरदास की प्रमुख रचनाएँ सूरसागर, साहित्य लहरी और सूर सारावली हैं, जिनमें सूरसागर सबसे लोकप्रिय है।

3

सूरदास की काव्य भाषा।

सूरदास ने ब्रजभाषा में काव्य रचना की, जो लोकगीतों की परंपरा का उत्कृष्ट उदाहरण है।

4

सूरदास के काव्य की विशेषताएँ।

सूरदास के काव्य में कृषि और पशुपालन करने वाले भारतीय समाज का दैनिक जीवन और मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का चित्रण मिलता है।

5

सूरदास की भक्ति भावना।

सूरदास की भक्ति भावना कृष्ण और गोपियों के प्रति अनन्य प्रेम में व्यक्त होती है, जो सहज मानवीय प्रेम की प्रतिष्ठा करती है।

6

सूरदास द्वारा रचित हरिगीतिका छंद।

सूरदास ने हरिगीतिका छंद में कृष्ण भक्ति से संबंधित पदों की रचना की, जो उनकी काव्य शैली की विशेषता है।

7

सूरदास की कविताओं में प्रकृति चित्रण।

सूरदास की कविताओं में प्रकृति का सजीव चित्रण मिलता है, जो उनके काव्य को मनोरम बनाता है।

8

सूरदास की मृत्यु 1583 में हुई।

सूरदास की मृत्यु 1583 में पारसौली में हुई, जहाँ वे श्रीनाथ जी के मंदिर में भजन-कीर्तन करते थे।

9

सूरदास की कविताओं में गोपियों का चरित्र।

सूरदास की कविताओं में गोपियों का चरित्र कृष्ण के प्रति उनके अनन्य प्रेम और भक्ति को दर्शाता है।

10

सूरदास की कविताओं में कृष्ण की बाल लीलाएँ।

सूरदास की कविताओं में कृष्ण की बाल लीलाओं का मनोहारी वर्णन मिलता है, जो उनके काव्य को आकर्षक बनाता है।

11

सूरदास की कविताओं में भक्ति और प्रेम का संगम।

सूरदास की कविताओं में भक्ति और प्रेम का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जो उनके काव्य की विशेषता है।

12

सूरदास की कविताओं में दार्शनिक तत्व।

सूरदास की कविताओं में दार्शनिक तत्व भी मिलते हैं, जो उनके गहन चिंतन को दर्शाते हैं।

13

सूरदास की कविताओं में समाज का चित्रण।

सूरदास की कविताओं में समाज के विभिन्न वर्गों का सजीव चित्रण मिलता है, जो उनके काव्य को यथार्थपरक बनाता है।

14

सूरदास की कविताओं में नैतिक शिक्षा।

सूरदास की कविताओं में नैतिक शिक्षा के तत्व भी मिलते हैं, जो उनके काव्य को शिक्षाप्रद बनाते हैं।

15

सूरदास की कविताओं में संगीत का महत्व।

सूरदास की कविताओं में संगीत का विशेष महत्व है, जो उनके पदों को मधुर और आकर्षक बनाता है।

16

सूरदास की कविताओं में भाषा की सरलता।

सूरदास की कविताओं में भाषा की सरलता और सहजता उनके काव्य को सर्वसुलभ बनाती है।

17

सूरदास की कविताओं में अलंकारों का प्रयोग।

सूरदास की कविताओं में अलंकारों का सुंदर प्रयोग मिलता है, जो उनके काव्य को सौंदर्यपूर्ण बनाता है।

18

सूरदास की कविताओं में भावुकता।

सूरदास की कविताओं में भावुकता की गहराई मिलती है, जो पाठक के हृदय को छू लेती है।

19

सूरदास की कविताओं में धार्मिक एकता का संदेश।

सूरदास की कविताओं में धार्मिक एकता का संदेश निहित है, जो उनके सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

20

सूरदास की कविताओं का आधुनिक युग में महत्व।

सूरदास की कविताएँ आधुनिक युग में भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि उनमें मानवीय मूल्यों और भावनाओं का गहरा चित्रण है।

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