Revision Guide
जयशंकर प्रसाद एक प्रसिद्ध हिंदी कवि, नाटककार और उपन्यासकार हैं, जिनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
जयशंकर प्रसाद - Quick Look Revision Guide
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This compact guide covers 20 must-know concepts from जयशंकर प्रसाद aligned with Class X preparation for Hindi. Ideal for last-minute revision or daily review.
Key Points
जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 में वाराणसी में हुआ।
जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 में वाराणसी में हुआ था। उन्होंने काशी के प्रसिद्ध क्वींस कॉलेज में पढ़ाई की, लेकिन परिस्थितियों के कारण आगे नहीं पढ़ सके।
प्रसाद की प्रमुख काव्य रचनाएँ: कामायनी, आँसू, लहर।
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख काव्य रचनाओं में कामायनी, आँसू, और लहर शामिल हैं। कामायनी को आधुनिक हिंदी की सर्वश्रेष्ठ काव्य रचना माना जाता है।
प्रसाद नाटककार भी थे: स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त।
जयशंकर प्रसाद ने स्कंदगुप्त और चंद्रगुप्त जैसे नाटक भी लिखे, जो हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण हैं।
प्रसाद की काव्य शैली छायावादी है।
जयशंकर प्रसाद की काव्य शैली छायावादी है, जो भावनात्मक गहराई और सौंदर्यबोध से भरी है।
कामायनी पर प्रसाद को मंगलाप्रसाद पारितोषिक मिला।
कामायनी पर जयशंकर प्रसाद को मंगलाप्रसाद पारितोषिक से सम्मानित किया गया, जो हिंदी साहित्य में एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
प्रसाद की मृत्यु 1937 में हुई।
जयशंकर प्रसाद का निधन 1937 में हुआ, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी पढ़ी जाती हैं।
प्रसाद के उपन्यास: कंकाल, तितली।
जयशंकर प्रसाद ने कंकाल और तितली जैसे उपन्यास भी लिखे, जो हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय हैं।
प्रसाद की कहानी संग्रह: आकाशदीप, अंधेर।
जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ आकाशदीप और अंधेर जैसे संग्रहों में संकलित हैं, जो गहन मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।
प्रसाद का साहित्य जीवन की कामना, माधुर्य, शक्ति और उत्साह का साहित्य है।
प्रसाद का साहित्य जीवन की कामना, माधुर्य, शक्ति और उत्साह से भरा है, जो पाठकों को गहराई से प्रभावित करता है।
प्रसाद की कविताओं में प्रकृति प्रेम और देश प्रेम की भावना है।
जयशंकर प्रसाद की कविताओं में प्रकृति प्रेम और देश प्रेम की भावना स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है, जो उनकी रचनाओं को विशेष बनाती है।
प्रसाद ने इतिहास और दर्शन में गहरी रुचि दिखाई।
जयशंकर प्रसाद ने इतिहास और दर्शन में गहरी रुचि दिखाई, जो उनके साहित्य में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।
प्रसाद की रचना 'आत्मकथ्य' एक महत्वपूर्ण कविता है।
'आत्मकथ्य' जयशंकर प्रसाद की एक महत्वपूर्ण कविता है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के यथार्थ को बहुत ही मार्मिक ढंग से व्यक्त किया है।
प्रसाद ने 'गाल' पत्रिका का संपादन किया।
जयशंकर प्रसाद ने 'गाल' पत्रिका का संपादन किया, जो उस समय की एक प्रमुख साहित्यिक पत्रिका थी।
प्रसाद की शैली में लयात्मकता और संगीतात्मकता है।
जयशंकर प्रसाद की शैली में लयात्मकता और संगीतात्मकता का गुण है, जो उनकी कविताओं को मधुर बनाता है।
प्रसाद ने संस्कृत, हिंदी, फारसी का गहन अध्ययन किया।
जयशंकर प्रसाद ने संस्कृत, हिंदी, और फारसी का गहन अध्ययन किया, जो उनके साहित्य में विविधता लाता है।
प्रसाद की रचनाओं में दार्शनिकता का पुट है।
जयशंकर प्रसाद की रचनाओं में दार्शनिकता का पुट है, जो उन्हें अन्य रचनाकारों से अलग करता है।
प्रसाद को हिंदी साहित्य का एक स्तंभ माना जाता है।
जयशंकर प्रसाद को हिंदी साहित्य का एक स्तंभ माना जाता है, जिन्होंने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी।
प्रसाद की कविताओं में छायावादी शैली की झलक है।
जयशंकर प्रसाद की कविताओं में छायावादी शैली की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है, जो भावनात्मक गहराई से भरी है।
प्रसाद ने 'कामायनी' में मानव जीवन के दुखों को दर्शाया।
'कामायनी' में जयशंकर प्रसाद ने मानव जीवन के दुखों और संघर्षों को बहुत ही मार्मिक ढंग से दर्शाया है।
प्रसाद की रचनाएँ हिंदी साहित्य की धरोहर हैं।
जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ हिंदी साहित्य की धरोहर हैं, जो आज भी पाठकों और विद्वानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
सूरदास अध्याय में भक्ति कवि सूरदास के जीवन और उनकी कृष्ण भक्ति पर आधारित कविताओं का अध्ययन किया जाता है।
तुलसीदास अध्याय में हिंदी साहित्य के महान कवि तुलसीदास जी के जीवन और उनकी रचनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की गई है।
अध्याय 'देव' में कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा प्रकृति और ईश्वर के बीच के संबंध को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
This chapter explores the life and works of the renowned Hindi poet Suryakant Tripathi 'Nirala', highlighting his contributions to modern Hindi literature.