Revision Guide
This chapter explores the life and works of the renowned Hindi poet Suryakant Tripathi 'Nirala', highlighting his contributions to modern Hindi literature.
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला' - Quick Look Revision Guide
Your 1-page summary of the most exam-relevant takeaways from Kshitij - II.
This compact guide covers 20 must-know concepts from सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला' aligned with Class X preparation for Hindi. Ideal for last-minute revision or daily review.
Key Points
निराला का जन्म 1899 में बंगाल के मेदिनीपुर में हुआ।
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला' का जन्म 1899 में बंगाल के मेदिनीपुर में हुआ था। वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। उनकी शिक्षा मेदिनीपुर में ही हुई और उन्होंने स्वाध्याय से संस्कृत, बंगाली और अंग्रेजी का ज्ञान प्राप्त किया।
निराला की प्रमुख रचनाएँ: अकामेडा, प्रेमिका, गीतिका।
निराला की प्रमुख काव्य रचनाओं में 'अकामेडा', 'प्रेमिका', और 'गीतिका' शामिल हैं। इनके अलावा उन्होंने उपन्यास, कहानी, आलोचना और निबंध भी लिखे।
निराला को छायावादी युग के प्रमुख कवि माना जाता है।
निराला को छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है। उनकी कविताओं में प्रकृति, प्रेम और दर्शन के गहरे तत्व मिलते हैं।
निराला की कविता 'मराला' में प्रकृति का सुंदर चित्रण।
'मराला' कविता में निराला ने प्रकृति का बहुत ही सुंदर और जीवंत चित्रण किया है। यह कविता प्रकृति के प्रति उनके गहरे लगाव को दर्शाती है।
निराला ने समाज के दलित और शोषित वर्ग के प्रति सहानुभूति दिखाई।
निराला की रचनाओं में समाज के दलित और शोषित वर्ग के प्रति गहरी सहानुभूति देखी जा सकती है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से इन वर्गों की पीड़ा को व्यक्त किया।
निराला की भाषा शैली अत्यंत प्रभावशाली और मुक्त छंद की है।
निराला की भाषा शैली अत्यंत प्रभावशाली है और उन्होंने मुक्त छंद का प्रयोग करके हिंदी कविता को एक नई दिशा दी। उनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग भी देखा जा सकता है।
निराला की कविता 'राम की शक्ति पूजा' एक महाकाव्यात्मक रचना है।
'राम की शक्ति पूजा' निराला की एक महाकाव्यात्मक रचना है जिसमें उन्होंने रामायण के एक प्रसंग को अपने अंदाज में पेश किया है। यह कविता धार्मिक और दार्शनिक विचारों से भरी है।
निराला ने हिंदी साहित्य में नवीनता लाने का प्रयास किया।
निराला ने हिंदी साहित्य में नवीनता लाने का प्रयास किया और परंपरागत छंदों से हटकर मुक्त छंद में कविताएँ लिखीं। उनकी इस नवीनता ने हिंदी कविता को एक नया आयाम दिया।
निराला की कविताओं में रहस्यवाद और दर्शन के तत्व मिलते हैं।
निराला की कविताओं में रहस्यवाद और दर्शन के गहरे तत्व मिलते हैं। उनकी कविताएँ जीवन के गहरे सवालों को छूती हैं और पाठक को विचार करने पर मजबूर करती हैं।
निराला का निधन 1961 में हुआ।
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला' का निधन 1961 में हुआ। उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में उनकी अमर विरासत के रूप में जीवित हैं।
निराला की कविता 'जूही की कली' प्रेम और प्रकृति का सुंदर संगम।
'जूही की कली' कविता में निराला ने प्रेम और प्रकृति का सुंदर संगम प्रस्तुत किया है। यह कविता प्रेम की कोमल भावनाओं और प्रकृति के सुंदर दृश्यों को एक साथ लाती है।
निराला ने समाज में फैली कुरीतियों पर प्रहार किया।
निराला ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वासों पर प्रहार किया। उन्होंने समाज को जागृत करने और सुधारने का प्रयास किया।
निराला की कविताओं में राष्ट्रीय भावना का समावेश।
निराला की कविताओं में राष्ट्रीय भावना का गहरा समावेश देखा जा सकता है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से देशभक्ति की भावना को जगाने का प्रयास किया।
निराला ने हिंदी कविता को गद्य के निकट लाने का प्रयास किया।
निराला ने हिंदी कविता को गद्य के निकट लाने का प्रयास किया और मुक्त छंद में कविताएँ लिखकर कविता को अधिक लचीला बनाया। उनकी इस शैली ने हिंदी कविता को एक नया रूप दिया।
निराला की कविता 'सरोज स्मृति' एक शोक गीत है।
'सरोज स्मृति' निराला की एक शोक गीत है जिसमें उन्होंने अपनी पुत्री सरोज के असामयिक निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। यह कविता मार्मिक और हृदयस्पर्शी है।
निराला ने अपनी कविताओं में आम आदमी की पीड़ा को व्यक्त किया।
निराला ने अपनी कविताओं में आम आदमी की पीड़ा और संघर्ष को बहुत ही मार्मिक ढंग से व्यक्त किया है। उनकी कविताएँ समाज के उस वर्ग की आवाज बनकर उभरीं जो शोषण का शिकार था।
निराला की कविताओं में प्रकृति का मानवीकरण देखने को मिलता है।
निराला की कविताओं में प्रकृति का मानवीकरण बहुत ही सुंदर ढंग से किया गया है। उन्होंने प्रकृति को एक जीवंत इकाई के रूप में प्रस्तुत किया है जिसमें मानवीय भावनाएँ और गुण हैं।
निराला ने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
निराला ने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य की धरोहर हैं और आज भी पाठकों और विद्वानों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
निराला की कविताओं में आध्यात्मिकता का पुट मिलता है।
निराला की कविताओं में आध्यात्मिकता का गहरा पुट मिलता है। उनकी कविताएँ जीवन के गहरे सवालों को छूती हैं और आत्मा की खोज को प्रस्तुत करती हैं।
निराला की रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं।
निराला की रचनाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं। उनकी कविताएँ और गद्य रचनाएँ आज के समाज को भी प्रेरणा और मार्गदर्शन देती हैं।
सूरदास अध्याय में भक्ति कवि सूरदास के जीवन और उनकी कृष्ण भक्ति पर आधारित कविताओं का अध्ययन किया जाता है।
तुलसीदास अध्याय में हिंदी साहित्य के महान कवि तुलसीदास जी के जीवन और उनकी रचनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की गई है।
जयशंकर प्रसाद एक प्रसिद्ध हिंदी कवि, नाटककार और उपन्यासकार हैं, जिनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
अध्याय 'देव' में कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा प्रकृति और ईश्वर के बीच के संबंध को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।