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Kshitij - II
यशपाल

Revision Guide

यशपाल

Revision Guide

यशपाल

यशपाल एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक हैं जिनकी रचनाएँ समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं।

यशपाल - Quick Look Revision Guide

Your 1-page summary of the most exam-relevant takeaways from Kshitij - II.

This compact guide covers 20 must-know concepts from यशपाल chapter aligned with Class X preparation for Hindi. Ideal for last-minute revision or daily review.

Revision Guide

Key Points

1

यशपाल का जन्म 1903 में पंजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ।

यशपाल का जन्म 1903 में पंजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ था। उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी.ए. किया। उनकी मृत्यु 1976 में हुई।

2

यशपाल की रचनाओं में आम आदमी के सरोकारों की मौजूदगी है।

यशपाल की रचनाओं में आम आदमी के सरोकारों की मौजूदगी है। वे यथार्थवादी शैली के विशेष रचनाकार हैं।

3

यशपाल की प्रमुख कहानियाँ: झूठा-सच, उपन्यास: दिव्या।

यशपाल की प्रमुख कहानियों में झूठा-सच और उपन्यास में दिव्या शामिल हैं। ये रचनाएँ सामाजिक विषमताओं पर प्रकाश डालती हैं।

4

यशपाल की भाषा शैली की विशेषता।

यशपाल की भाषा शैली सरल, सहज और प्रवाहमयी है। उनकी भाषा में लोकप्रिय शब्दों का प्रयोग हुआ है।

5

यशपाल का साहित्य में योगदान।

यशपाल ने हिंदी साहित्य को यथार्थवादी दृष्टि से समृद्ध किया। उनकी रचनाएँ सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हैं।

6

यशपाल की कहानी 'लखनऊ का क़िस्सा' की मुख्य विशेषता।

'लखनऊ का क़िस्सा' कहानी में यशपाल ने नवाबी संस्कृति और आधुनिकता के टकराव को दिखाया है।

7

यशपाल के साहित्य का उद्देश्य।

यशपाल का साहित्य सामाजिक विषमताओं और राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है।

8

यशपाल की रचनाओं में नारी चित्रण।

यशपाल की रचनाओं में नारी पात्रों को सशक्त और स्वतंत्र रूप में चित्रित किया गया है।

9

यशपाल के उपन्यासों की विशेषता।

यशपाल के उपन्यासों में ऐतिहासिक और सामाजिक यथार्थ का सटीक चित्रण मिलता है।

10

यशपाल की कहानियों का शिल्प।

यशपाल की कहानियों का शिल्प सरल और प्रभावी है। वे कहानी के माध्यम से गहरी सामाजिक समस्याओं को उजागर करते हैं।

11

यशपाल की भाषा में मुहावरों का प्रयोग।

यशपाल ने अपनी भाषा में मुहावरों और लोकोक्तियों का सहज प्रयोग किया है, जिससे भाषा जीवंत हो उठी है।

12

यशपाल के साहित्य का समाज पर प्रभाव।

यशपाल का साहित्य समाज में जागरूकता फैलाने और सामाजिक बदलाव लाने में सहायक रहा है।

13

यशपाल की कहानियों में यथार्थवाद।

यशपाल की कहानियों में यथार्थवाद की प्रधानता है। वे समाज की कुरीतियों और विसंगतियों को बेबाकी से दिखाते हैं।

14

यशपाल के उपन्यासों में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि।

यशपाल के उपन्यासों में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का सटीक और विस्तृत वर्णन मिलता है।

15

यशपाल की रचनाओं में हास्य-व्यंग्य।

यशपाल की रचनाओं में हास्य और व्यंग्य का सहज प्रयोग मिलता है, जो समाज की विसंगतियों को उजागर करता है।

16

यशपाल के साहित्य में देशभक्ति की भावना।

यशपाल के साहित्य में देशभक्ति की गहरी भावना मिलती है। उनकी रचनाएँ स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित हैं।

17

यशपाल की कहानियों में चरित्र चित्रण।

यशपाल की कहानियों में पात्रों का चरित्र चित्रण बहुत ही सजीव और यथार्थपरक है।

18

यशपाल के साहित्य की प्रासंगिकता।

यशपाल का साहित्य आज भी प्रासंगिक है क्योंकि यह समाज की वर्तमान समस्याओं को समझने में मदद करता है।

19

यशपाल की रचनाओं में नैतिक मूल्य।

यशपाल की रचनाओं में नैतिक मूल्यों का उच्च स्थान है। वे अपने पाठकों को नैतिक शिक्षा देते हैं।

20

यशपाल के साहित्य का हिंदी साहित्य में स्थान।

यशपाल का स्थान हिंदी साहित्य में एक प्रमुख यथार्थवादी लेखक के रूप में है। उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य की धरोहर हैं।

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