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वाच्यम् अध्यायः क्रियायाः कर्तृ-कर्म-भावान् प्रकटयति, यत्र कर्तृवाच्यं, कर्मवाच्यं, भाववाच्यं च विवेच्यते।
सन्धिः अध्यायः संस्कृतभाषायां वर्णानां मेलनं तथा परिवर्तनं विवृणोति, येन शब्दानां उच्चारणं लेखनं च सुकरं भवति।
समासा: एक संक्षिप्तीकरण की कला, जहाँ दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया और संक्षिप्त शब्द बनाया जाता है।
प्रत्यया: अध्याय में संस्कृत भाषा में प्रत्ययों के प्रयोग और उनके अर्थ को समझाया गया है।
अव्ययानि अविकारी शब्द होते हैं जो वाक्य में क्रिया, संज्ञा, सर्वनाम आदि के साथ प्रयुक्त होते हैं और उनका रूप नहीं बदलता।
समय: अध्याय में समय की अवधारणा, उसके मापन और दैनिक जीवन में इसके उपयोग के बारे में सीखें।