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भदंत आनंद कौसल्यायन एक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु और लेखक हैं, जिन्होंने बौद्ध धर्म और दर्शन पर कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
भदंत आनंद कौसल्यायन - Practice Worksheet
Strengthen your foundation with key concepts and basic applications.
This worksheet covers essential long-answer questions to help you build confidence in भदंत आनंद कौसल्यायन from Kshitij - II for Class X (Hindi).
Basic comprehension exercises
Strengthen your understanding with fundamental questions about the chapter.
Questions
भदंत आनंद कौसल्यायन का जीवन परिचय दीजिए।
भदंत आनंद कौसल्यायन के जीवन और कार्यों के बारे में पाठ के प्रारंभिक भाग को देखें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन का जन्म 1905 में पंजाब के अम्बाला जिले के सोहाना गाँव में हुआ था। उनका बचपन का नाम गिरधर दास था। उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी.ए. किया। वे एक हिंदी साहित्यकार और बौद्ध भिक्षु थे। उन्होंने देश-विदेश की कई यात्राएँ कीं और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। वे गांधी जी के साथ लंबे समय तक वर्धा में रहे। 1988 में उनका निधन हो गया। उनकी 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जिनमें 'भिक्षु के पत्र', 'तोस हँसो न सको', 'अगर बाबा न होते', 'रेल का टिकट', 'कहाँ क्या देखा' आदि प्रमुख हैं। बौद्ध धर्म और दर्शन से संबंधित उनके कई मौलिक और अनूदित ग्रंथ हैं।
भदंत आनंद कौसल्यायन की साहित्यिक सेवाओं का वर्णन कीजिए।
भदंत आनंद कौसल्यायन की साहित्यिक सेवाओं के बारे में पाठ के मध्य भाग को देखें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन ने हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग और राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, वर्धा के माध्यम से देश-विदेश में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार का महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके निबंध, संस्मरण और यात्रा वृत्तांत सरल और सहज भाषा में लिखे गए हैं। उनकी रचनाओं में बौद्ध धर्म और दर्शन से संबंधित विषयों का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। उन्होंने जातक कथाओं का अनुवाद भी किया है, जो विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
सभ्यता और संस्कृति में अंतर स्पष्ट कीजिए।
सभ्यता और संस्कृति के अंतर को समझने के लिए पाठ के उत्तरार्ध भाग को देखें।
Solution
सभ्यता और संस्कृति दो अलग-अलग अवधारणाएँ हैं। संस्कृति मनुष्य की आंतरिक क्षमता और रचनात्मकता का परिणाम है, जबकि सभ्यता संस्कृति के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली भौतिक उपलब्धियों को कहते हैं। उदाहरण के लिए, आग की खोज करने की क्षमता संस्कृति है, जबकि आग का आविष्कार सभ्यता है। संस्कृति मनुष्य की मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति को दर्शाती है, जबकि सभ्यता उसकी भौतिक उन्नति को। संस्कृति स्थायी होती है, जबकि सभ्यता समय के साथ बदलती रहती है।
आग की खोज को एक बहुत बड़ी खोज क्यों माना जाता है?
आग की खोज के महत्व को समझने के लिए पाठ में दिए गए उदाहरणों को देखें।
Solution
आग की खोज को एक बहुत बड़ी खोज इसलिए माना जाता है क्योंकि इसने मनुष्य के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। आग ने मनुष्य को ठंड से बचने, भोजन पकाने और जंगली जानवरों से सुरक्षा प्रदान की। आग की खोज ने मनुष्य को एक नई दिशा दिखाई और उसके विकास की गति को तेज किया। आग के बिना मनुष्य का विकास संभव नहीं था। आग ने मनुष्य को प्रकृति पर विजय पाने का पहला साधन प्रदान किया। इसलिए, आग की खोज को मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक माना जाता है।
वास्तविक अर्थों में 'सर्जनात्मक व्यक्ति' किसे कहा जा सकता है?
सर्जनात्मक व्यक्ति की परिभाषा और उदाहरणों के लिए पाठ के मध्य भाग को देखें।
Solution
वास्तविक अर्थों में 'सर्जनात्मक व्यक्ति' उसे कहा जा सकता है जो किसी नए तथ्य या सिद्धांत की खोज करता है। ऐसा व्यक्ति अपनी मौलिक सोच और रचनात्मकता के बल पर नई चीजों का आविष्कार करता है। उदाहरण के लिए, न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की, इसलिए वे एक सर्जनात्मक व्यक्ति थे। सर्जनात्मक व्यक्ति वह होता है जो पहले से मौजूद ज्ञान को आगे बढ़ाता है और नए ज्ञान का सृजन करता है। ऐसे व्यक्ति समाज और विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
न्यूटन को सर्जनात्मक मानव कहने के पीछे कौन-से तर्क दिए गए हैं?
न्यूटन की सर्जनात्मकता के बारे में पाठ के मध्य भाग को देखें।
Solution
न्यूटन को सर्जनात्मक मानव इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की। यह खोज उनकी मौलिक सोच और रचनात्मकता का परिणाम थी। न्यूटन ने प्रकृति के नियमों को समझने और उन्हें सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य किया। उनकी यह खोज विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। न्यूटन के बाद भी कई लोगों ने उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाया, लेकिन वे न्यूटन की तरह सर्जनात्मक नहीं कहे जा सकते क्योंकि उन्होंने नए सिद्धांतों की खोज नहीं की।
सुई-धागे के आविष्कार के पीछे कौन-सी महत्वपूर्ण आवश्यकताएँ रही होंगी?
सुई-धागे के आविष्कार के पीछे की आवश्यकताओं को समझने के लिए पाठ में दिए गए उदाहरणों को देखें।
Solution
सुई-धागे के आविष्कार के पीछे कई महत्वपूर्ण आवश्यकताएँ रही होंगी। पहली आवश्यकता शरीर को ठंड से बचाने की रही होगी। दूसरी आवश्यकता शरीर को सजाने और संवारने की रही होगी। सुई-धागे के आविष्कार ने मनुष्य को कपड़े सिलने और पहनने की सुविधा प्रदान की। इससे मनुष्य का जीवन और सुविधाजनक हो गया। सुई-धागे का आविष्कार मनुष्य की रचनात्मकता और समस्या समाधान की क्षमता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस आविष्कार ने मनुष्य के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है। इस कथन की पुष्टि में दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
मानव संस्कृति की अविभाज्यता को समझने के लिए पाठ के अंतिम भाग को देखें।
Solution
मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है, इस कथन की पुष्टि में दो प्रसंगों का उल्लेख किया जा सकता है। पहला प्रसंग आग की खोज का है, जिसमें मनुष्य की रचनात्मकता और आविष्कार करने की क्षमता को दर्शाया गया है। दूसरा प्रसंग सुई-धागे के आविष्कार का है, जिसमें मनुष्य की समस्या समाधान की क्षमता और सामाजिक विकास को दर्शाया गया है। ये दोनों प्रसंग मानव संस्कृति की एकता और अविभाज्यता को दर्शाते हैं। मानव संस्कृति विभिन्न क्षेत्रों में मनुष्य की उपलब्धियों का समग्र रूप है, जिसे विभाजित नहीं किया जा सकता।
लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति की सही परिभाषा क्या है?
लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति की परिभाषा को समझने के लिए पाठ के अंतिम भाग को देखें।
Solution
लेखक की दृष्टि में संस्कृति मनुष्य की आंतरिक क्षमता और रचनात्मकता का परिणाम है, जबकि सभ्यता संस्कृति के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली भौतिक उपलब्धियों को कहते हैं। लेखक के अनुसार, संस्कृति मनुष्य की मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति को दर्शाती है, जबकि सभ्यता उसकी भौतिक उन्नति को। संस्कृति स्थायी होती है, जबकि सभ्यता समय के साथ बदलती रहती है। लेखक का मानना है कि संस्कृति और सभ्यता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, जिन्हें अलग-अलग नहीं किया जा सकता।
मानव संस्कृति के विकास में भौतिक कारणों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
मानव संस्कृति के विकास में भौतिक कारणों की भूमिका को समझने के लिए पाठ के मध्य भाग को देखें।
Solution
मानव संस्कृति के विकास में भौतिक कारणों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आग की खोज, सुई-धागे का आविष्कार और अन्य भौतिक उपलब्धियों ने मनुष्य के जीवन को सुविधाजनक बनाया। इन भौतिक कारणों ने मनुष्य को प्रकृति पर विजय पाने और अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठाने में मदद की। हालाँकि, लेखक का मानना है कि भौतिक कारण अकेले संस्कृति के विकास के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। मनुष्य की रचनात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति भी संस्कृति के विकास में समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। भौतिक और आध्यात्मिक कारणों का संतुलन ही मानव संस्कृति के विकास का आधार है।
भदंत आनंद कौसल्यायन - Mastery Worksheet
Advance your understanding through integrative and tricky questions.
This worksheet challenges you with deeper, multi-concept long-answer questions from भदंत आनंद कौसल्यायन to prepare for higher-weightage questions in Class X.
Intermediate analysis exercises
Deepen your understanding with analytical questions about themes and characters.
Questions
भदंत आनंद कौसल्यायन के जीवन और उनके दर्शन की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
उनके जीवन के प्रमुख घटनाक्रमों और उनके लेखन की विशेषताओं पर ध्यान दें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन का जीवन बौद्ध धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए समर्पित था। उन्होंने देश-विदेश की यात्राएं की और गांधी जी के साथ लंबे समय तक काम किया। उनके दर्शन में सरलता, सहजता और मानवता के प्रति गहरी संवेदनशीलता देखी जा सकती है।
लोकतंत्र और धर्म के बीच भदंत आनंद कौसल्यायन के विचारों की तुलना कीजिए।
धर्म के आध्यात्मिक और लोकतंत्र के सामाजिक पहलुओं पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन का मानना था कि धर्म और लोकतंत्र दोनों ही मानवता की सेवा के लिए हैं। उन्होंने धर्म को व्यक्ति के आंतरिक विकास के लिए और लोकतंत्र को सामाजिक न्याय के लिए आवश्यक माना।
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार सभ्यता और संस्कृति में क्या अंतर है?
संस्कृति और सभ्यता के उदाहरणों के साथ तुलना करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, संस्कृति मनुष्य की आंतरिक प्रवृत्ति है जबकि सभ्यता उसका बाहरी प्रकटीकरण है। संस्कृति सृजनात्मकता और मौलिकता से जुड़ी है, जबकि सभ्यता उन सृजनों के उपयोग और प्रसार से।
भदंत आनंद कौसल्यायन के दर्शन में अहिंसा की क्या भूमिका है?
अहिंसा के विभिन्न पहलुओं और उनके सामाजिक प्रभाव पर विचार करें।
Solution
अहिंसा भदंत आनंद कौसल्यायन के दर्शन का केंद्रीय सिद्धांत है। उन्होंने अहिंसा को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और वाचिक हिंसा से भी दूर रहने के रूप में परिभाषित किया। यह सिद्धांत उनके बौद्ध धर्म और गांधीवादी विचारधारा के समन्वय को दर्शाता है।
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार शिक्षा का क्या उद्देश्य होना चाहिए?
शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक उद्देश्यों के साथ तुलना करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना है, जिसमें नैतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक विकास शामिल है। उन्होंने शिक्षा को समाज सुधार और मानवता की सेवा का माध्यम माना।
भदंत आनंद कौसल्यायन के विचारों में गांधी जी के प्रभाव को कैसे देखा जा सकता है?
गांधी जी के सिद्धांतों और भदंत आनंद कौसल्यायन के कार्यों के बीच समानताएं खोजें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन पर गांधी जी के विचारों का गहरा प्रभाव था, विशेष रूप से अहिंसा, सत्य और सादगी के सिद्धांतों पर। उन्होंने गांधी जी के साथ मिलकर समाज सुधार के कार्यों में भाग लिया और इन सिद्धांतों को अपने लेखन और भाषणों में प्रचारित किया।
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य क्या होना चाहिए?
आत्मज्ञान और मोक्ष की अवधारणाओं को समझें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति है। उनका मानना था कि यह लक्ष्य नैतिक जीवन, अहिंसा और दूसरों की सेवा के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
भदंत आनंद कौसल्यायन के दर्शन में प्रकृति और मानव के संबंध को कैसे देखा गया है?
प्रकृति और मानव के पारस्परिक संबंधों पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन ने प्रकृति और मानव के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध पर जोर दिया। उनका मानना था कि मानव को प्रकृति का शोषण नहीं बल्कि संरक्षण करना चाहिए, क्योंकि प्रकृति मानव जीवन का आधार है।
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार समाज सुधार में युवाओं की क्या भूमिका होनी चाहिए?
युवाओं के गुणों और समाज सुधार की आवश्यकताओं के बीच संबंध स्थापित करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन ने युवाओं को समाज सुधार की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया। उनका मानना था कि युवाओं में ऊर्जा, साहस और नवाचार की क्षमता होती है, जो समाज को बदलने में मदद कर सकती है।
भदंत आनंद कौसल्यायन के विचारों को आधुनिक समय में कैसे लागू किया जा सकता है?
वर्तमान सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों के संदर्भ में उनके विचारों की प्रासंगिकता पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन के विचार, जैसे अहिंसा, सादगी और सामाजिक न्याय, आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं। इन्हें शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समानता के क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है।
भदंत आनंद कौसल्यायन - Challenge Worksheet
Push your limits with complex, exam-level long-form questions.
The final worksheet presents challenging long-answer questions that test your depth of understanding and exam-readiness for भदंत आनंद कौसल्यायन in Class X.
Advanced critical thinking
Test your mastery with complex questions that require critical analysis and reflection.
Questions
भदंत आनंद कौसल्यायन के जीवन और कार्यों ने समाज को किस प्रकार प्रभावित किया? उनके द्वारा किए गए योगदानों का विश्लेषण कीजिए।
उनके द्वारा लिखित पुस्तकों और हिंदी भाषा के प्रचार में उनकी भूमिका पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार और हिंदी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके योगदानों को समझने के लिए उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे शिक्षा, यात्राएं, और साहित्यिक कार्यों को शामिल करें।
भदंत आनंद कौसल्यायन की दृष्टि में 'सभ्यता' और 'संस्कृति' के बीच क्या अंतर है? इन दोनों अवधारणाओं को उदाहरणों सहित समझाइए।
संस्कृति और सभ्यता के बीच के संबंध को समझने के लिए मानवीय आविष्कारों के पीछे की प्रेरणा पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, संस्कृति मानव की आंतरिक क्षमता और रचनात्मकता का परिणाम है, जबकि सभ्यता उसका बाहरी प्रकटीकरण है। इसे समझाने के लिए आग और सुई-धागे के आविष्कार के उदाहरणों का उपयोग करें।
भदंत आनंद कौसल्यायन ने मानवीय रचनात्मकता को किस प्रकार परिभाषित किया है? उनके विचारों को समकालीन संदर्भ में कैसे देखा जा सकता है?
रचनात्मकता के उदाहरणों के रूप में वैज्ञानिक आविष्कारों और कलात्मक अभिव्यक्तियों को शामिल करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन मानवीय रचनात्मकता को मानव की आंतरिक क्षमता और नवाचार की क्षमता के रूप में देखते हैं। समकालीन संदर्भ में, इसका अर्थ नई तकनीकों और विचारों के विकास से लगाया जा सकता है।
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, क्या कोई व्यक्ति संस्कृति के बिना सभ्य हो सकता है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
संस्कृति और सभ्यता के बीच के अंतर्निहित संबंध पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, संस्कृति के बिना सभ्यता का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि संस्कृति ही सभ्यता की नींव है। इसका समर्थन करने के लिए ऐतिहासिक और सामाजिक उदाहरणों का उपयोग करें।
भदंत आनंद कौसल्यायन ने मानवीय मूल्यों और संस्कृति के संरक्षण पर क्या विचार व्यक्त किए हैं? इन विचारों की वर्तमान समय में प्रासंगिकता का विश्लेषण कीजिए।
सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक सद्भाव के उदाहरणों का उपयोग करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन ने मानवीय मूल्यों और संस्कृति के संरक्षण को समाज की प्रगति के लिए आवश्यक बताया है। वर्तमान समय में, ये विचार सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक सद्भाव के संदर्भ में प्रासंगिक हैं।
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, किस प्रकार की संस्कृति को 'असंस्कृति' कहा जा सकता है? उदाहरण सहित समझाइए।
मानव कल्याण के विपरीत प्रभाव डालने वाली सामाजिक प्रथाओं पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, जो संस्कृति मानव के कल्याण में योगदान नहीं देती, उसे 'असंस्कृति' कहा जा सकता है। इसका उदाहरण हिंसा और अन्याय पर आधारित सामाजिक प्रथाएं हैं।
भदंत आनंद कौसल्यायन ने न्यूटन को 'संस्कृत मानव' क्यों कहा है? इस संदर्भ में न्यूटन के योगदानों का विश्लेषण कीजिए।
न्यूटन के आविष्कारों और उनके समाज पर प्रभाव पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन ने न्यूटन को 'संस्कृत मानव' इसलिए कहा है क्योंकि उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत जैसे मौलिक आविष्कार किए, जो मानवीय रचनात्मकता का परिणाम हैं। न्यूटन के योगदानों को वैज्ञानिक प्रगति के संदर्भ में समझा जा सकता है।
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, मानवीय संस्कृति को 'अविभाज्य' क्यों माना जाता है? इसके पीछे के तर्कों को समझाइए।
संस्कृति के एकीकृत स्वरूप और उसके विभिन्न पहलुओं पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, मानवीय संस्कृति 'अविभाज्य' है क्योंकि यह मानव की आंतरिक क्षमता और रचनात्मकता का परिणाम है, जिसे विभाजित नहीं किया जा सकता। इसका समर्थन करने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक उदाहरणों का उपयोग करें।
भदंत आनंद कौसल्यायन ने मानवीय संस्कृति और प्रकृति के बीच क्या संबंध बताया है? इस संबंध को उदाहरणों सहित समझाइए।
प्रकृति और मानवीय रचनात्मकता के बीच के संबंध पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन ने मानवीय संस्कृति और प्रकृति के बीच एक गहरा संबंध बताया है, जहां संस्कृति प्रकृति से प्रेरणा लेती है और उसे संवारती है। इसका उदाहरण प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और उनका संरक्षण है।
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, क्या संस्कृति का विकास स्थिर हो सकता है? इस प्रश्न पर अपने विचार तर्क सहित प्रस्तुत कीजिए।
संस्कृति के गतिशील स्वरूप और उसके निरंतर विकास पर विचार करें।
Solution
भदंत आनंद कौसल्यायन के अनुसार, संस्कृति का विकास स्थिर नहीं हो सकता, क्योंकि यह मानव की रचनात्मकता और नवाचार पर निर्भर करती है। इसका समर्थन करने के लिए ऐतिहासिक और सामाजिक परिवर्तनों के उदाहरणों का उपयोग करें।
स्वयं प्रकाश एक प्रेरणादायक कहानी है जो स्वयं की खोज और आत्मविश्वास के महत्व को दर्शाती है।
रामवृक्ष बेनीपुरी एक प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हैं जिनकी रचनाएँ भारतीय समाज और संस्कृति को गहराई से प्रतिबिंबित करती हैं।
यशपाल एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक हैं जिनकी रचनाएँ समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं।
मन्नू भंडारी एक प्रसिद्ध हिंदी लेखिका हैं जिनकी कहानियाँ सामाजिक मुद्दों और मानवीय संबंधों पर केंद्रित हैं।
यतीन्द्र मिश्रा एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक और कवि हैं, जिनकी रचनाएँ भारतीय संस्कृति और साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।