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कबीर – साखी

Worksheet

कबीर – साखी

Worksheet

कबीर – साखी

कबीर की साखियाँ जीवन के गहन सत्य और आध्यात्मिक ज्ञान को सरल और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती हैं।

कबीर – साखी - Practice Worksheet

Strengthen your foundation with key concepts and basic applications.

This worksheet covers essential long-answer questions to help you build confidence in कबीर – साखी from Sparsh for Class X (Hindi).

Practice Worksheet

Practice Worksheet

Basic comprehension exercises

Strengthen your understanding with fundamental questions about the chapter.

Questions

1

कबीर की साखियों में व्यक्त सामाजिक चेतना को स्पष्ट कीजिए।

Hint

कबीर की साखियों में समाज सुधार के संदेशों पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की साखियों में सामाजिक चेतना का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। वे समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वासों और धार्मिक आडंबरों का खुलकर विरोध करते हैं। कबीर ने समानता, भाईचारे और सच्चाई के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी है। उनकी साखियों में जाति-पाति के भेदभाव को नकारा गया है और मानवता को सर्वोपरि बताया गया है। कबीर का मानना था कि ईश्वर एक है और वह सभी में समान रूप से विद्यमान है। उन्होंने लोगों को आंतरिक शुद्धता और सच्चे प्रेम की ओर प्रेरित किया। कबीर की साखियाँ आज भी समाज के लिए प्रासंगिक हैं और हमें सही मार्ग दिखाती हैं।

2

कबीर के अनुसार सच्चा ज्ञान क्या है और यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

Hint

कबीर के द्वारा गुरु और आत्मज्ञान के महत्व को समझें।

Solution

कबीर के अनुसार सच्चा ज्ञान वह है जो व्यक्ति को आत्मज्ञान की ओर ले जाए। वे शास्त्रीय ज्ञान की अपेक्षा अनुभविक ज्ञान को अधिक महत्व देते हैं। कबीर का मानना था कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए गुरु की आवश्यकता होती है और सच्चा ज्ञान गुरु के मार्गदर्शन में ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बाह्य आडंबरों को छोड़कर आंतरिक शुद्धता पर जोर दिया। कबीर की साखियों में यह स्पष्ट है कि सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए मन की शुद्धता और सच्ची लगन आवश्यक है। वे कहते हैं कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए स्वयं के अनुभव और आत्मचिंतन का होना जरूरी है।

3

कबीर की भाषा शैली की विशेषताएँ बताइए।

Hint

कबीर की भाषा में लोकभाषा और विभिन्न भाषाओं के शब्दों के मिश्रण पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की भाषा शैली सरल, सहज और प्रभावी है। उन्होंने अपनी साखियों में लोकभाषा का प्रयोग किया है जिससे उनकी बातें आम जनता तक आसानी से पहुँच सकें। कबीर की भाषा में अनेक भाषाओं के शब्दों का मिश्रण देखने को मिलता है जैसे कि हिंदी, अवधी, राजस्थानी, पंजाबी आदि। उनकी भाषा को 'सधुक्कड़ी' या 'पंचमेल खिचड़ी' भी कहा जाता है। कबीर ने अपनी बात को प्रभावी ढंग से कहने के लिए दोहा और चौपाई छंदों का प्रयोग किया है। उनकी भाषा में व्यंग्य और कटाक्ष का भी प्रयोग हुआ है जो उनकी बात को और अधिक प्रभावी बनाता है। कबीर की भाषा शैली उनके विचारों की तरह ही सीधी और स्पष्ट है।

4

कबीर के दर्शन में ईश्वर की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।

Hint

कबीर के द्वारा ईश्वर की निराकार और निर्गुण अवधारणा को समझें।

Solution

कबीर के दर्शन में ईश्वर की अवधारणा बहुत ही सरल और स्पष्ट है। वे ईश्वर को एक मानते हैं और कहते हैं कि ईश्वर निराकार और निर्गुण है। कबीर के अनुसार ईश्वर कण-कण में व्याप्त है और वह सभी प्राणियों में समान रूप से विद्यमान है। उन्होंने मूर्ति पूजा और धार्मिक आडंबरों का विरोध किया है। कबीर का मानना है कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए सच्चे प्रेम और भक्ति की आवश्यकता होती है। वे कहते हैं कि ईश्वर को पाने के लिए मन की शुद्धता और सच्ची लगन जरूरी है। कबीर के दर्शन में ईश्वर और जीव के बीच के संबंध को बहुत ही सरल ढंग से समझाया गया है।

5

कबीर की साखियों में व्यक्त नैतिक शिक्षा को स्पष्ट कीजिए।

Hint

कबीर की साखियों में दिए गए सच्चाई, ईमानदारी और प्रेम के संदेशों पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की साखियों में नैतिक शिक्षा का गहरा संदेश निहित है। वे सच्चाई, ईमानदारी, सदाचार और प्रेम की शिक्षा देते हैं। कबीर ने लोगों को लोभ, मोह, अहंकार और झूठ से दूर रहने की सलाह दी है। उनका मानना है कि सच्चा सुख और शांति नैतिकता के मार्ग पर चलने से ही प्राप्त हो सकती है। कबीर की साखियों में परोपकार, दया और सहनशीलता जैसे गुणों को महत्व दिया गया है। वे कहते हैं कि मनुष्य को सदैव दूसरों की भलाई के बारे में सोचना चाहिए। कबीर की नैतिक शिक्षा आज भी हमारे जीवन के लिए प्रासंगिक है और हमें सही मार्ग दिखाती है।

6

कबीर के अनुसार सच्चा गुरु कौन है और उसका क्या महत्व है?

Hint

कबीर के द्वारा गुरु की भूमिका और महत्व को समझें।

Solution

कबीर के अनुसार सच्चा गुरु वह है जो व्यक्ति को अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाए। वे गुरु को ईश्वर का दूसरा रूप मानते हैं और कहते हैं कि गुरु के बिना ईश्वर की प्राप्ति असंभव है। कबीर का मानना है कि गुरु ही व्यक्ति को सच्चा मार्ग दिखा सकता है और उसे आत्मज्ञान की ओर प्रेरित कर सकता है। उन्होंने गुरु की महिमा को अपनी साखियों में बखूबी व्यक्त किया है। कबीर कहते हैं कि गुरु की कृपा से ही व्यक्ति माया के बंधनों से मुक्त हो सकता है और सच्चे सुख को प्राप्त कर सकता है। गुरु का महत्व कबीर के दर्शन में बहुत ही अधिक है और वे गुरु को जीवन का सबसे बड़ा मार्गदर्शक मानते हैं।

7

कबीर की साखियों में व्यक्त आध्यात्मिक संदेश को स्पष्ट कीजिए।

Hint

कबीर की साखियों में दिए गए आत्मा और परमात्मा के मिलन के संदेशों पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की साखियों में आध्यात्मिक संदेश का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। वे आत्मा और परमात्मा के मिलन को ही सच्चा जीवन मानते हैं। कबीर का मानना है कि मनुष्य को अपने अंदर की ओर देखना चाहिए और आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने माया और मोह को छोड़कर ईश्वर की भक्ति में लीन होने की सलाह दी है। कबीर की साखियों में यह स्पष्ट है कि सच्चा सुख और शांति केवल आध्यात्मिक जीवन में ही प्राप्त हो सकती है। वे कहते हैं कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए मन की शुद्धता और सच्ची लगन आवश्यक है। कबीर का आध्यात्मिक संदेश आज भी हमारे जीवन के लिए प्रासंगिक है और हमें सही मार्ग दिखाता है।

8

कबीर के अनुसार मनुष्य की सच्ची पहचान क्या है?

Hint

कबीर के द्वारा आत्मा और शरीर के अंतर को समझें।

Solution

कबीर के अनुसार मनुष्य की सच्ची पहचान उसकी आत्मा है न कि उसका शरीर या जाति। वे कहते हैं कि मनुष्य को अपने अंदर की ओर देखना चाहिए और आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहिए। कबीर का मानना है कि शरीर नश्वर है लेकिन आत्मा अमर है। उन्होंने जाति-पाति के भेदभाव को नकारा है और सभी मनुष्यों को समान बताया है। कबीर की साखियों में यह स्पष्ट है कि मनुष्य की सच्ची पहचान उसके कर्मों और आचरण से होती है न कि उसके बाह्य स्वरूप से। वे कहते हैं कि मनुष्य को सदैव सच्चाई और नैतिकता के मार्ग पर चलना चाहिए। कबीर के अनुसार मनुष्य की सच्ची पहचान उसकी आत्मिक उन्नति में निहित है।

9

कबीर की साखियों में व्यक्त समाज सुधार के संदेश को स्पष्ट कीजिए।

Hint

कबीर की साखियों में दिए गए समाज सुधार के संदेशों पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की साखियों में समाज सुधार के संदेश का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। वे समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वासों और धार्मिक आडंबरों का खुलकर विरोध करते हैं। कबीर ने जाति-पाति के भेदभाव को नकारा है और सभी मनुष्यों को समान बताया है। उन्होंने स्त्री शिक्षा और स्त्री सम्मान को बढ़ावा दिया है। कबीर की साखियों में यह स्पष्ट है कि समाज की उन्नति के लिए शिक्षा और जागरूकता आवश्यक है। वे कहते हैं कि समाज को सच्चाई और नैतिकता के मार्ग पर चलना चाहिए। कबीर का समाज सुधार का संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक है और हमें सही मार्ग दिखाता है।

10

कबीर के अनुसार सच्ची भक्ति क्या है और यह कैसे की जा सकती है?

Hint

कबीर के द्वारा निष्काम और निःस्वार्थ भक्ति की अवधारणा को समझें।

Solution

कबीर के अनुसार सच्ची भक्ति वह है जो निष्काम और निःस्वार्थ हो। वे कहते हैं कि ईश्वर की भक्ति के लिए किसी बाह्य आडंबर की आवश्यकता नहीं है। कबीर का मानना है कि सच्ची भक्ति मन की शुद्धता और सच्चे प्रेम से ही की जा सकती है। उन्होंने मूर्ति पूजा और धार्मिक रीति-रिवाजों को नकारा है। कबीर की साखियों में यह स्पष्ट है कि ईश्वर की भक्ति के लिए सच्ची लगन और आत्मसमर्पण आवश्यक है। वे कहते हैं कि भक्ति का मार्ग सरल और सहज है लेकिन उस पर चलने के लिए मन की शुद्धता जरूरी है। कबीर के अनुसार सच्ची भक्ति से ही मनुष्य को सच्चा सुख और शांति प्राप्त हो सकती है।

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कबीर – साखी - Mastery Worksheet

Advance your understanding through integrative and tricky questions.

This worksheet challenges you with deeper, multi-concept long-answer questions from कबीर – साखी to prepare for higher-weightage questions in Class X.

Mastery Worksheet

Mastery Worksheet

Intermediate analysis exercises

Deepen your understanding with analytical questions about themes and characters.

Questions

1

कबीर की साखियों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं का वर्णन करें।

Hint

भाषा की सरलता, जनभाषा के निकटता, और विभिन्न बोलियों के शब्दों का मिश्रण पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की भाषा सरल, सहज और जनभाषा के निकट है। उन्होंने अपनी साखियों में पूर्वी उत्तर प्रदेश की बोली का प्रयोग किया है, जिसमें अवधी, ब्रज, और खड़ी बोली के शब्द मिलते हैं। इस भाषा को 'पंचमेल खिचड़ी' भी कहा जाता है। कबीर ने अपने विचारों को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से व्यक्त करने के लिए इस भाषा का चयन किया।

2

कबीर के अनुसार सच्चा ज्ञान क्या है और यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

Hint

आत्मा और परमात्मा के संबंध, गुरु की भूमिका, और अनुभव के महत्व पर विचार करें।

Solution

कबीर के अनुसार सच्चा ज्ञान वह है जो व्यक्ति को आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को समझाता है। यह ज्ञान गुरु की कृपा और स्वयं के अनुभव से प्राप्त होता है। कबीर ने शास्त्रों के ज्ञान की अपेक्षा अनुभव के ज्ञान को अधिक महत्व दिया है।

3

कबीर की साखियों में समाज के प्रति क्या संदेश छिपा है?

Hint

सामाजिक समानता, धार्मिक आडंबरों का विरोध, और सच्ची भक्ति के मार्ग पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की साखियों में समाज के प्रति यह संदेश छिपा है कि ऊँच-नीच, जात-पात के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी को एक समान देखना चाहिए। उन्होंने धार्मिक आडंबरों और बाह्याडंबरों का विरोध किया और सच्चे प्रेम और भक्ति का मार्ग दिखाया।

4

कबीर के दोहों में प्रकृति का क्या महत्व है?

Hint

प्रकृति के प्रतीकात्मक उपयोग और आध्यात्मिक सत्यों के संदर्भ में विचार करें।

Solution

कबीर के दोहों में प्रकृति को परमात्मा का प्रतीक माना गया है। उन्होंने प्रकृति के विभिन्न रूपों के माध्यम से आध्यात्मिक सत्यों को समझाने का प्रयास किया है। प्रकृति के साथ एकात्मकता का भाव कबीर की रचनाओं में स्पष्ट देखा जा सकता है।

5

कबीर की साखियों और तुलसीदास के दोहों में क्या अंतर है?

Hint

भाषा की सरलता, शैली, और संदेश के फोकस पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की साखियाँ सीधे और सरल भाषा में लिखी गई हैं जो जनसामान्य को संबोधित करती हैं, जबकि तुलसीदास के दोहे अधिक संस्कृतनिष्ठ और शास्त्रीय हैं। कबीर ने समाज सुधार पर जोर दिया है, जबकि तुलसीदास ने भक्ति और धर्म के पारंपरिक मार्ग को प्रस्तुत किया है।

6

कबीर के अनुसार मनुष्य की सबसे बड़ी अज्ञानता क्या है?

Hint

आत्मा और परमात्मा के एकत्व और बाह्याडंबरों के विरोध पर विचार करें।

Solution

कबीर के अनुसार मनुष्य की सबसे बड़ी अज्ञानता यह है कि वह अपने अंदर के दिव्य तत्व को नहीं पहचानता और बाह्याडंबरों में उलझा रहता है। उनका मानना है कि सच्चा ज्ञान आत्मा और परमात्मा के एकत्व को समझने में है।

7

कबीर की साखियों में निहित नैतिक शिक्षा क्या है?

Hint

सत्य, प्रेम, सदाचार, और अहंकार के परित्याग पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की साखियों में निहित नैतिक शिक्षा यह है कि सत्य, प्रेम, और सदाचार के मार्ग पर चलना चाहिए। उन्होंने ईमानदारी, सरलता, और दूसरों की सेवा को महत्व दिया है। कबीर ने यह भी सिखाया है कि अहंकार और लोभ से दूर रहना चाहिए।

8

कबीर के दोहों में प्रयुक्त प्रतीकों का विश्लेषण करें।

Hint

प्रतीकों के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास करें।

Solution

कबीर के दोहों में प्रयुक्त प्रतीकों में कुम्हार का चाक, सूत का तागा, और बाजार आदि शामिल हैं। ये प्रतीक जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, कुम्हार का चाक जीवन के चक्र को दर्शाता है, जबकि सूत का तागा आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को।

9

कबीर की साखियों में आध्यात्मिक और सामाजिक संदेशों का तुलनात्मक विश्लेषण करें।

Hint

आध्यात्मिक और सामाजिक संदेशों के उद्देश्य और प्रभाव पर ध्यान दें।

Solution

कबीर की साखियों में आध्यात्मिक संदेशों के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी महत्वपूर्ण हैं। आध्यात्मिक संदेशों में आत्मा और परमात्मा के एकत्व को समझना शामिल है, जबकि सामाजिक संदेशों में जाति और धर्म के भेदभाव से ऊपर उठने की शिक्षा दी गई है। दोनों प्रकार के संदेशों का उद्देश्य मनुष्य को बेहतर इंसान बनाना है।

10

कबीर के दोहों में व्यंग्य का क्या महत्व है?

Hint

व्यंग्य के माध्यम से समाज की कुरीतियों और अज्ञानता को उजागर करने पर ध्यान दें।

Solution

कबीर के दोहों में व्यंग्य का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने व्यंग्य के माध्यम से समाज की कुरीतियों, धार्मिक आडंबरों, और मनुष्य की अज्ञानता को उजागर किया है। व्यंग्य का उपयोग करके कबीर ने लोगों को सच्चाई का आईना दिखाने का प्रयास किया है।

कबीर – साखी - Challenge Worksheet

Push your limits with complex, exam-level long-form questions.

The final worksheet presents challenging long-answer questions that test your depth of understanding and exam-readiness for कबीर – साखी in Class X.

Challenge Worksheet

Challenge Worksheet

Advanced critical thinking

Test your mastery with complex questions that require critical analysis and reflection.

Questions

1

कबीर की साखियों में समाज के प्रति गहरी सामाजिक चेतना दिखाई देती है। इस कथन की पुष्टि में उनकी किन्हीं दो साखियों का उल्लेख करते हुए विस्तार से समझाइए।

Hint

कबीर के समय की सामाजिक स्थितियों और उनकी साखियों के संदेश को जोड़कर सोचें।

Solution

कबीर की साखियों में समाज की कुरीतियों और अंधविश्वासों पर तीखा प्रहार देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, 'बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर...' साखी में वे ऊँच-नीच की भावना को चुनौती देते हैं। दूसरी साखी 'माला फेरत जुग भया...' में वे बाह्याडंबरों की निरर्थकता को उजागर करते हैं।

2

कबीर ने 'लोक भाषा' का प्रयोग करके अपने विचारों को जन-जन तक पहुँचाया। इस कथन के आलोक में उनकी भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

Hint

कबीर की भाषा की सरलता और प्रभावशीलता पर ध्यान दें।

Solution

कबीर ने साधारण जनता की भाषा में अपने विचारों को व्यक्त किया, जिससे उनकी बातें आम आदमी तक आसानी से पहुँच सकें। उनकी भाषा में स्थानीय बोलियों और लोकप्रिय मुहावरों का प्रयोग हुआ है, जैसे 'पानी केरा बुदबुदा...'। इससे उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावी बन गई।

3

कबीर की साखियों में आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश एक साथ मिलते हैं। इस कथन की व्याख्या करते हुए उनकी किसी एक साखी का विश्लेषण कीजिए।

Hint

साखी के शाब्दिक और आध्यात्मिक अर्थों को समझने का प्रयास करें।

Solution

कबीर की साखियाँ आध्यात्मिक ज्ञान और सामाजिक सुधार दोनों को एक साथ लेकर चलती हैं। उदाहरण के लिए, 'जाति न पूछो साधु की...' साखी में वे जाति-पाति के भेदभाव को नकारते हुए आध्यात्मिक समानता का संदेश देते हैं।

4

कबीर के अनुसार 'सच्चा ज्ञान' क्या है और वह कैसे प्राप्त किया जा सकता है? उनकी साखियों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Hint

कबीर के गुरु और आत्मानुभूति के महत्व पर विचार करें।

Solution

कबीर के अनुसार सच्चा ज्ञान वह है जो व्यक्ति को आत्मबोध कराता है और उसे माया के बंधनों से मुक्त करता है। यह ज्ञान गुरु की कृपा और स्वयं के अनुभव से प्राप्त होता है, जैसा कि 'गुरु गोविंद दोऊ खड़े...' साखी में कहा गया है।

5

कबीर की साखियों में प्रकृति के प्रतीकों का प्रयोग किस प्रकार किया गया है? किन्हीं दो साखियों के उदाहरण देकर समझाइए।

Hint

प्रकृति के प्रतीकों और उनके आध्यात्मिक अर्थों के बीच संबंध स्थापित करें।

Solution

कबीर ने प्रकृति के प्रतीकों का प्रयोग करके गहरे आध्यात्मिक सत्यों को समझाने का प्रयास किया है। उदाहरण के लिए, 'मोती मूंगे की खान...' साखी में वे मोती को आत्मा का प्रतीक बनाते हैं। दूसरी साखी 'पानी केरा बुदबुदा...' में पानी के बुलबुले को मनुष्य के अहंकार का प्रतीक बताया गया है।

6

कबीर के दार्शनिक विचारों को उनकी साखियों के माध्यम से कैसे समझा जा सकता है? विस्तार से समझाइए।

Hint

कबीर के दर्शन की मूलभूत अवधारणाओं को समझने का प्रयास करें।

Solution

कबीर के दार्शनिक विचारों को उनकी साखियों के माध्यम से समझा जा सकता है, जहाँ वे माया, मोक्ष, और ईश्वर की एकता जैसे गहन विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करते हैं। उदाहरण के लिए, 'माया महा ठगिनी हम जानी...' साखी में माया की असारता को दर्शाया गया है।

7

कबीर की साखियों में निहित नैतिक शिक्षा की प्रासंगिकता आज के समय में कैसे है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

Hint

आधुनिक समाज में नैतिक मूल्यों की कमी और कबीर की शिक्षा के बीच संबंध स्थापित करें।

Solution

कबीर की साखियों में दी गई नैतिक शिक्षा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। उदाहरण के लिए, 'ऐसी वाणी बोलिए...' साखी में दी गई शिक्षा आज के समय में भी मनुष्य के व्यवहार को सुधार सकती है।

8

कबीर ने धार्मिक आडंबरों का विरोध क्यों किया? उनकी किन्हीं दो साखियों के आधार पर इसका विश्लेषण कीजिए।

Hint

कबीर के धार्मिक सुधारवादी विचारों को समझने का प्रयास करें।

Solution

कबीर ने धार्मिक आडंबरों का विरोध इसलिए किया क्योंकि वे मानते थे कि ईश्वर की प्राप्ति बाह्याडंबरों से नहीं, बल्कि आंतरिक भक्ति और सच्चे ज्ञान से होती है। उदाहरण के लिए, 'माला फेरत जुग भया...' और 'पाहन पूजे हरि मिले...' साखियों में वे इन आडंबरों की निरर्थकता को उजागर करते हैं।

9

कबीर की साखियों में 'एकेश्वरवाद' की अवधारणा किस प्रकार व्यक्त हुई है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

Hint

कबीर के एकेश्वरवादी विचारों और उनकी साखियों के बीच संबंध स्थापित करें।

Solution

कबीर की साखियों में 'एकेश्वरवाद' की अवधारणा स्पष्ट रूप से व्यक्त हुई है। वे कहते हैं कि ईश्वर एक है और वह सर्वत्र व्याप्त है, जैसा कि 'हरि एक है, हरि दूजा नाहीं...' साखी में कहा गया है।

10

कबीर की साखियों के आधार पर उनके 'गुरु' के प्रति दृष्टिकोण को समझाइए।

Hint

कबीर के गुरु के प्रति श्रद्धा और आदर भाव को समझने का प्रयास करें।

Solution

कबीर गुरु को ईश्वर प्राप्ति का साधन मानते हैं। उनके अनुसार गुरु की कृपा से ही व्यक्ति अज्ञान के अंधकार से मुक्त हो सकता है, जैसा कि 'गुरु गोविंद दोऊ खड़े...' साखी में कहा गया है।

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